Good and service tax(GST) क्या है Types of Gst

आज हम इस लेख के जानेगे की Gst क्या होता है। Gst Full Form, Types of Gst और जीएसटी काम केसे करता है। इस पोस्ट में हम आपको जीएसटी से जुडी पूरी जानकारी देंगे इसके बाद आपको जीएसटी के बारे में कही और Research करने की जररुत नहीं पड़ेगी। आज हम आपको बता दे की जीएसटी के बारे में जानना बहुत ही जरूरी है क्योकि भविष्य में आपको इसकी काफी जरुरत पड़ सकती है।

Gst Full Form क्या है

आपने कही से या किसी से जीएसटी का नाम तो सुना ही होगा और अब तो ये बहुत ही सामान्य सी बात हो गई है लेकिन हर व्यक्ति इसके बारे में जानना चाहता है तो Gst Full Form is Goods and Services Tax होता है। ओर हिंदी में इसका मतलब होता है ‘वस्तु व सेवा कर’ यह जीएसटी भारत में टैक्स के रूप में काम करता है।

जीएसटी क्या है What is Gst Full Form

Gst एक ‘वस्तु व सेवा कर’टैक्स है यह भारत सरकार दुवारा किसी वस्तु और उत्पादकों की बिक्री पर लगने वाला एक टैक्स है जो भारत में को (Gst Releasing Date) 1 July 2017 को शुरू किया गया था। यह किसी भी वस्तु और उत्पादकों की बिक्री पर लगाया जाता हैGST का उपयोग भारत में वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर किया जाता है। यह एक व्यापक, बहुस्तरीय, गंतव्य-आधारित कर है:

Gst कर संग्रह के लिए वस्तुओं और सेवाओं को पांच अलग-अलग टैक्स स्लैब में बांटा गया है: 0%, 5%, 12%, 18% और 28%। लेकिन कुछ चीजों पर इसे नहीं लगाया जाता है जैसे शराब की बिक्री और पेट्रोल ,डीज़ल पर नहीं लगाया जाता है । और इसके बजाय अलग-अलग राज्य सरकारों द्वारा पिछले कर प्रणाली के अनुसार अलग से कर लगाया जाता है। [उद्धरण वांछित] मोटे कीमती और अर्ध पर 0.25% की विशेष दर है। -कीमती पत्थर और सोने पर 3%।इसके अलावा 22% या अन्य दरों पर 28% जीएसटी कुछ वस्तुओं जैसे वातित पेय, लक्जरी कारों और तंबाकू उत्पादों पर लागू होता है। प्री-जीएसटी, अधिकांश वस्तुओं के लिए वैधानिक कर की दर लगभग 26.5% थी, जीएसटी के बाद, अधिकांश वस्तुओं के 18% कर सीमा में होने की उम्मीद है।

यह कर 1 जुलाई 2017 से भारत सरकार द्वारा भारत के संविधान के एक सौ पहले संशोधन के कार्यान्वयन के माध्यम से लागू हुआ था। Gstने केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लगाए गए सभी मौजूदा बहुत से करों को बदल दिया है ।

Gst परिषद के द्वारा कर दरों, नियमों और विनियमों को नियंत्रित किया जाता है इस परिषद मे केंद्र सरकार और सभी राज्यों के वित्त मंत्री शामिल होते हैं। जीएसटी का मुख्य उद्देश्य कई अलग-अलग करों को एक ही कर मे बदलना है और इसी वजह देश की 2.4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था को फिर से नया आकार देने की उम्मीद है, ।

जीएसटी कितने प्रकार का होता है Types of Gst

जब हम किसी प्रकार की वस्तु की बिक्री पर जीएसटी लगाते है तो यह तीन प्रकार का होता है।

  1. राज्य स्तरीय जीएसटी (SGST- State Goods and Services Tax) SGST Full Form
  2. केंद्रीय स्तरीय जीएसटी (CGST- Central Goods and Services Tax) CGST Full Form
  3. इंटीग्रेटेड स्तरीय जीएसटी (IGST- Integrated Goods and Services Tax) IGST Full Form

जीएसटी कैसे काम करता है

  1. राज्य स्तरीय जीएसटी (SGST- State Goods and Services Tax)
    किसी भी राज्य के दुवारा जब किसी भी प्रकार का जीएसटी लागु किया जाता है तो उसे राज्य स्तरीय जीएसटी कहा जाता है जब एक ही राज्य में Sale-Purchase की जाती है तो यह टैक्स लागू होता है।
  2. केंद्रीय स्तरीय जीएसटी (CGST- Central Goods and Services Tax)
    केंद्र सरकार दुवारा किसी प्रकार का जीएसटी लागु किया जाता है तो उसे केंद्रीय स्तरीय जीएसटी बोलते है यह भी जब एक ही राज्य में Sale-Purchase की जाती है तो यह टैक्स लागू होता है।
  3. इंटीग्रेटेड स्तरीय जीएसटी (IGST- Integrated Goods and Services Tax)
    यह भी जब केंद्र सरकार दुवारा किसी प्रकार का जीएसटी लागु किया जाता है तो उसे इंटीग्रेटेड स्तरीय जीएसटी बोलते है यह टेक्स जब किसी एक राज्य से दूसरे राज्य में Sale-Purchase की जाती है तो यह टैक्स लागू होता है।

Gst Kaise lagaya Jata hai

जब भी एक राज्य में Sale-Purchase होती है तो उस पर SGST+CGST लगाया जाता है क्योकि इसमे से आधा टैक्स राज्य सरकार के पास जाता है और बाकी आधा टैक्स केंद्र सरकार के पास जाता है जिनके टैक्स अलग अलग प्रकार के होते है।

जब किसी एक राज्य से दूसरे राजय में Sale-Purchase की जाती है तो IGST टैक्स लगाया जाता है और इसका सारा टैक्स केंद्र सरकार के पास जाता है।

Gst Calculation kaise kare

Gst कैलकुलेशन करना बहुत ही आसान है आप इस तरीके से समझ सकते है की जीएसटी कैलकुलेशन किस प्रकार किया जाता है।

जब भी किसी एक राज्य में Sale-Purchase की है तो Gst टैक्स इस प्रकार कैलक्यूशन होगा।

अगर कोई भी बिल 100,000 का है और उस पर 18% Gstटैक्स लगता है तो उसमे Gst कैलकुलेशन ऐसे होगा।

100000×100/118= 84745.76 Taxable Value 15254 Tax(7627.11 CGST Tax or 7627.11 SGST Tax) Both Half

जब भी किसी एक राज्य से दूसरे राज्य में Sale-Purchase की है तो Gst टैक्स इस प्रकार कैलक्यूशन होगा

100000×100/118= 84745.76 Taxable Value 15254 IGST Tax

GST HISTORY ( जीएसटी का इतिहास )

GST FORMATION -जीएसटी का गठन

भारत की कर व्यवस्था में सुधार सबसे पहले 1986 में राजीव गांधी की सरकार में वित्त मंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह द्वारा किया गया था इसे मूल्य वर्धित कर (MODVAT)की शुरुआत के साथ शुरू किया गया था। जिसके बाद बने प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव और उनके वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने राज्य स्तर पर मूल्य वर्धित कर (वैट) पर चर्चा शुरू करी थी । उसके बाद 1999 में बने प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और उनके आर्थिक सलाहकारो के बीच हुई एक बैठक के दौरान “गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी)” प्रस्ताव रखा गया था और बाद मे इसे आगे बढ़ाया गया था, जिसके दोरान आरबीआई के तीन पूर्व गवर्नर आईजी पटेल, बिमल जालान ,सी रंगराजनभी शामिल थे। । अटल बिहारी वाजपेयी जी ने जीएसटी मॉडल को तैयार करने के लिए पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री असीम दासगुप्ता की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया।

असीम दासगुप्ता समिति जिसे लॉजिस्टिक्स और बैक-एंड टेक्नोलॉजी को स्थापित करने का कार्य सौंपा गया था। जिसके बाद यह देश में एक समान कराधान व्यवस्था को लागू करने के लिए सामने आया। इसके बाद 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने कर सुधारों की सिफारिश करने के लिए विजय केलकर के नेतृत्व में एक फोर्स का गठन किया। जिसके बाद 2005 में, केलकर समिति ने 12वें वित्त आयोग के सुझाव के अनुसार जीएसटी को लागू करने की सिफारिश की गई ।

2004 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की हार और कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के चुनाव के बाद, इसके बाद फरवरी 2006 में नए वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने उसी पर काम करना जारी रखा और 1 अप्रैल 2010 तक जीएसटी रोलआउट का प्रस्ताव रखा। हालांकि, 2011 में, तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल में सीपीआई (एम) को सत्ता से बाहर कर दिया, असीम दासगुप्ता ने जीएसटी समिति के प्रमुख के रूप में इस्तीफा दे दिया। दासगुप्ता ने एक साक्षात्कार में स्वीकार किया कि 80% कार्य हो चुका था।

यूपीए ने जीएसटी को लाने के लिए 115वां संविधान संशोधन विधेयक पेश किया इसको 22 मार्च 2011 को लोकसभा में पेश किया गया था । यह सविधान संशोधन भारतीय जनता पार्टी और अन्य पार्टी दलों के विरोध में चला गया और इसलिए इस संशोधन को भाजपा के पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा की अध्यक्षता मे बनाई गई एक स्थायी समिति के पास भेजा गया। इस समिति ने यह रिपोर्ट अगस्त 2013 में प्रस्तुत की गई थी परंतु अक्टूबर 2013 में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसको लेकर आपत्ति जताई जिसकी वजह से इस बिल को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया। इसलिए ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने जीएसटी विधेयक की विफलता के लिए मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के इस एकतरफा विरोध के लिए जिम्मेदार ठहराया।

इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को सता के लिए चुना गया । जिसके बाद 2015 में इसको जीएसटी नेटवर्क, या जीएसटीएन के रूप में जाना जाने लगा

लोकसभा, जीएसटी विधेयक – भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के गठन के सात महीने बाद नए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में फिर से जीएसटी विधेयक पेश किया, जहां भाजपा के पास बहुमत था। जिसके बाद वित मंत्री अरुण जेटली ने फरवरी 2015 में जीएसटी लागू करने के लिए 1अप्रैल 2017 की एक और समय सीमा निर्धारित कर दी ।जिसके बाद लोकसभा ने जीएसटी के संविधान संशोधन विधेयक को मई 2016 में पारित किया। बल्कि विपक्ष पार्टी कॉंग्रेस ने मांग की कि जीएसटी विधेयक को कुछ बयानों को लेकर फिर से समीक्षा के लिए भेजा जाए। ओर इस तरह आखिरकार अगस्त 2016 में संशोधन विधेयक को पारित कर दिया गया। ओर अगले 15 से 20 दिनों में ही 18 राज्यों ने संविधान संशोधन विधेयक की पुष्टि कर दी इसके साथ भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इसे स्वीकृति दे दी।

जीएसटी कानूनों को देखने ओर परखने के लिए एक समिति का गठन किया गया था। जिसमे 21 सदस्यों को चुना गया जीएसटी परिषद ने केंद्रीय माल और सेवा कर विधेयक 2017 (सीजीएसटी विधेयक), एकीकृत माल और सेवा कर विधेयक 2017 (आईजीएसटी विधेयक), केंद्र शासित प्रदेश माल और सेवा कर विधेयक 2017 (यूटीजीएसटी विधेयक), माल और सेवा कर (राज्यों को मुआवजा) विधेयक 2017 (मुआवजा विधेयक), इन सभी विधेयकों को 29 मार्च 2017 को लोकसभा द्वारा पारित किया गया था। राज्य सभा ने इन विधेयकों को 6 अप्रैल 2017 मे पारित किया और फिर विधयकों को 12 अप्रैल 2017 को अधिनियम के रूप में अधिनियमित किया गया। इसके बाद ही विभिन्न राज्यों के राज्य विधानसभाओं ने संबंधित राज्य माल और सेवा कर विधेयक पारित किए हैं। विभिन्न जीएसटी कानूनों के लागू होने के बाद पूरे भारत में 1 जुलाई 2017 से माल और सेवा कर लागू किया गया। ओर जम्मू और कश्मीर राज्य विधायिका ने 7 जुलाई 2017 को अपना जीएसटी अधिनियम पारित किया, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि पूरे देश को एक एकीकृत अप्रत्यक्ष कराधान प्रणाली के तहत लाया जाए। प्रतिभूतियों की बिक्री और खरीद पर कोई जीएसटी नहीं होना था

GST IMPELITIMATION कार्यान्वयन

GST को भारत सरकार और राष्ट्रपति के द्वारा 1 जुलाई 2017 को मध्यरात्रि में लॉन्च किया गया था। लॉन्च के लिए संसद के सेंट्रल हॉल में बैठक बुलाई गई । इस सत्र में रतन टाटा सहित व्यापार और मनोरंजन उद्योग के सभी लोगों ने भाग लिया था, लेकिन विपक्ष द्वारा इसका बहिष्कार किया गया था क्योंकि बहुत सी समस्याओं को देखते हुए यह मध्यम और निम्न वर्ग के भारतीयों के लिए नेतृत्व करने के लिए बाध्य था। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा जीएसटी कर का विरोध किया गया था। यह भी संसद द्वारा आयोजित कुछ मध्यरात्रि सत्रों में से एक थी जैसे 15 अगस्त 1947 को भारत की स्वतंत्रता की घोषणा की थी और उस अवसर की रजत और स्वर्ण जयंती हैं। इस लॉन्च के बाद जीएसटी दरों को कई बार संशोधित किया जा चुका है, इसके बाद की बात करे तो 22 दिसंबर 2018 मे संघीय और राज्य के वित्त मंत्रियों के एक पैनल ने 28 वस्तुओं और 53 सेवाओं पर जीएसटी दरों को संशोधित करने का निर्णय लिया।

इस के बाद कांग्रेस के सदस्यों ने मिलकर जीएसटी लॉन्च का पूरी तरह से बहिष्कार किया। उनके साथ कई पार्टिया समिलित हुई जिनमे कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और इसके साथ ही द्रमुक के सदस्य भी शामिल हुए। पार्टियों का कहना था उन्हें जीएसटी और मौजूदा कराधान प्रणाली के बीच कोई भी अंतर नहीं मिला, ओर यह दावा किया कि सरकार मौजूदा कराधान प्रणाली को केवल रीब्रांड करने की कोशिश कर रही थी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जीएसटी वस्तुओं पर दरों को कम न करते हुए आम दैनिक वस्तुओं पर मौजूदा दरों में वृद्धि करेगा, और इससे विशेष रूप से मध्यम, निम्न मध्यम और गरीब आय वर्ग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा

GST की ऑफिसियल वेबसाईट पर जाए क्लिक करे …

कर सम्मिलित

जीएसटी ने कई करों और शुल्कों को अपने मे शामिल कर लिया, जिसमें केंद्रीय उत्पाद शुल्क, सेवा कर, अतिरिक्त सीमा शुल्क, अधिभार, राज्य-स्तरीय मूल्य वर्धित कर और चुंगी भी शामिल है । इसके साथ ही अन्य शुल्क जो माल के अंतर-राज्यीय परिवहन पर लागू थे, उनको भी जीएसटी मे समाप्त कर दिया गया है। जीएसटी मुख्यत सभी लेनदेन जैसे बिक्री, हस्तांतरण, खरीद, वस्तु विनिमय, पट्टे, या माल और / या सेवाओं के आयात पर लगाया जाता है।

इसलिए भारत ने दोहरे जीएसटी मॉडल को अपनाया गया जिसका मतलब है कि कराधान केंद्र और राज्य दोनों सरकारों द्वारा प्रशासित है। एक राज्य के भीतर किए गए लेन-देन पर केंद्र सरकार द्वारा केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) और राज्य सरकारों द्वारा राज्य जीएसटी (एसजीएसटी) लिया जाता है। अंतर-राज्यीय लेनदेन और आयातित वस्तुओं या सेवाओं के लिए, केंद्र सरकार द्वारा एक एकीकृत जीएसटी (IGST) लगाया जाता है। जीएसटी एक उपभोग-आधारित कर/गंतव्य-आधारित कर है, इसलिए, इन करों का भुगतान उस राज्य को किया जाता है जहां से उन वस्तुओं या सेवाओं का उपभोग किया जाता है, न कि उस राज्य से जहां उनका उत्पादन होता है । IGST केंद्र सरकार से सीधे उन पर देय कर एकत्र करने से अक्षम करके राज्य सरकारों के लिए कर संग्रह को जटिल बनाता है। पिछली प्रणाली के तहत, कर राजस्व एकत्र करने के लिए एक राज्य को केवल एक ही सरकार से निपटना होगा।

एचएसएन कोड

भारत 1971 से ही विश्व सीमा शुल्क संगठन (WCO)का सदस्य है। यह मुख्य रूप से वस्तुओं को वर्गीकृत करने के लिए 6 अंकों के HSN कोड का उपयोग कर रहा था।
सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क : जिसके बाद सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क ने कोड को अधिक मजबूत ओर सटीक बनाने के लिए इसमे दो अंक ओर जोड़े जिसके कारण यह 8 अंकों का वर्गीकरण हुआ। एचएसएन कोड का मुख्य उद्देश्य है जीएसटी को व्यवस्थित ढंग से और विश्व स्तर पर स्वीकार्य बनाना है।

इस एचएसएन कोड के द्वारा माल का विस्तृत विवरण के अपलोड करने की आवश्यकता को हटा देता । जिससे समय की भी काफी बचत होती और जीएसटी रिटर्न स्वचालित होने के बाद से दाखिल करना भी आसान हो जाता है ।

अगर किसी भी कंपनी के पिछले वित्तीय वर्ष का टर्नओवर ₹15 मिलियन (US$200,000)का है तो उस के चालान पर माल की आपूर्ति करते समय HSN कोड का उल्लेख नहीं करना पड़ेगा । ओर अगर किसी कंपनी का टर्नओवर ₹15 मिलियन (US$200,000)से अधिक है, लेकिन ₹50 मिलियन (US$660,000)तक का है, तो उन्हें इनवॉइस पर माल की आपूर्ति करते समय HSN कोड के पहले दो अंकों का उल्लेख करना होगा। यदि टर्नओवर ₹50 मिलियन (US$660,000) को पार कर जाता है, तो उन्हें इनवॉइस पर HSN कोड के पहले 4 अंकों का उल्लेख करना होगा।

दर

हमारी दिन भर की जरूरत की वस्तुवे जिनका इस्तेमाल हम रोज करते है उन पर जीएसटी लगाया जाता है। जेसे साबुन पर 18 फीसदी और डिटर्जेंट पर 28 फीसदी जीएसटी है। जिसके अनुसार 100 रुपये से कम लागत वाली वस्तु उस पर 18% जीएसटी और 100 रुपये से अधिक की लागत वस्तु पर 28% जीएसटी लगाया जाता है और वाणिज्यिक वाहन और निजी पर 28% और रेडीमेड कपड़ों पर 5% जीएसटी है। निर्माणाधीन संपत्ति की बुकिंग पर दर 12% है। कुछ उद्योगों और उत्पादों को सरकार के द्वारा छूट दी गई थी उन पर जीएसटी टैक्स नहीं लगाया गया था, जैसे डेयरी उत्पाद, मिलिंग उद्योगों के उत्पाद, ताजी सब्जियां और फल, मांस उत्पाद, और अन्य किराने का सामान और आवश्यकताएं।

इसके साथ ही केंद्र सरकार ने राज्यों के राजस्व को जीएसटी के प्रभाव से बचाने का प्रस्ताव रखा था, इस उम्मीद के साथ कि पेट्रोलियम और उसके उत्पादों पर समय के साथ जीएसटी लगाया जाएगा। केंद्र सरकार ने राज्यों को आस्वासन दिया की जीएसटी की तारीख से पांच साल की अवधि के लिए किसी भी राजस्व नुकसान के लिए मुआवजा मिलेगा । परंतु इसके लिए कोई भी ऐसा कानून नहीं बनाया गया । इसके साथ जीएसटी परिषद ने जीएसटी दरों के साथ छेड़छाड़ के लिए यक अवधारणा पत्र भी बनाया

ई-वे बिल

ई-वे बिल यह एक तरीके से किसी भी माल की शिपिंग के करने लिए एक इलेक्ट्रॉनिक परमिट होता है। जिसे 1 जून 2018 से माल के अंतर-राज्यीय परिवहन के लिए लागू कर दिया गया था। इसे 10 किलोमीटर से अधिक माल की प्रत्येक अंतर-राज्यीय आवाजाही और ₹50,000 (यूएस $660) की सीमा के लिए उत्पन्न करने की आवश्यकता है।

यह उपकरण एक कागज रहित, प्रौद्योगिकी समाधान और टेक्स चोरी की जांच करने और वर्तमान समय में नकद आधार पर होने वाले व्यापार पर रोक लगाने के लिए महत्वपूर्ण है। इसे 1 फरवरी 2018 को शुरू किया गया था लेकिन जीएसटी नेटवर्क में गड़बड़ियों के कारण बाद मे इसे वापस ले लिया गया । राज्यों को अप्रैल 2018 के अंत तक इसे शुरू करने के लिए चार क्षेत्रों में विभाजित किया गया है।

इसके साथ एक अद्वितीय ई-वे बिल नंबर (ईबीएन) आपूर्तिकर्ता, प्राप्तकर्ता या ट्रांसपोर्टर द्वारा उत्पन्न किया जाता है। EBN यह एक प्रिंटआउट हो सकता है, एसएमएस या चालान पर लिखा हुआ मान्य है। जीएसटी/कर अधिकारी ई-वे बिल में सूचीबद्ध सामानों का मिलान साथ मे लाए गए माल से करते हैं। तंत्र का उद्देश्य ओवरलोडिंग, अंडरस्टेटिंग आदि जैसी खामियों को दूर करना है। प्रत्येक ई-वे बिल को जीएसटी चालान के साथ मिलान करना होता है ।

ट्रांसपोर्टर आईडी और पिन कोड अब 01-अक्टूबर-2018 से अनिवार्य कर दिए गए ।

रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म

रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (आरसीएम) एक जीएसटी प्रणाली है जहां पर माल का रिसीवर अपंजीकृत व छोटी सामग्री और सेवा आपूर्तिकर्ताओं की ओर से कर का भुगतान करता है। माल का जो प्राप्तकर्ता है वह इनपुट टैक्स क्रेडिट के लिए पात्र है, लेकिन अपंजीकृत डीलर इनपुट टेक्स क्रेडिट का पात्र नहीं है।

जीएसटी के बाहर रखा सामान

मानव के द्वारा उपभोग की जाने वाली शराब (अर्थात, व्यावसायिक उपयोग के लिए नहीं)।
पेट्रोल और पेट्रोलियम उत्पाद (जीएसटी बाद की तारीख में लागू होगा), यानी पेट्रोलियम क्रूड, हाई-स्पीड डीजल, मोटर स्पिरिट (पेट्रोल), प्राकृतिक गैस, विमानन टरबाइन ईंधन।

क्यूआरएमपी योजना

यह एक जीएसटी कराधान प्रणाली में हालिया संशोधन है। यदि कोई कर देने वाला इस योजना का विकल्प चुनता है तो उसे नियमित मासिक आधार के बजाय तिमाही आधार पर जीएसटी रिटर्न का भुगतान करना होगा, परंतु कर भुगतान महीने के महीने करना होगा

क्यूआरएमपी का मतलब है – तिमाही रिटर्न मासिक भुगतान।

राजस्व वितरण
जीएसटी से अर्जित राजस्व (अंतर राज्य लेनदेन – विक्रेता और खरीदार दोनों एक ही राज्य में स्थित हैं) को केंद्र और संबंधित राज्य सरकारों के बीच 50-50 के आधार पर समान रूप से साझा किया जाता है। उदाहरण: यदि गोवा राज्य ने जनवरी के महीने में कुल जीएसटी राजस्व (अंतरराज्यीय लेनदेन – विक्रेता और खरीदार दोनों एक ही राज्य में स्थित हैं) का संग्रह किया है तो केंद्र सरकार (सीजीएसटी) का हिस्सा 50 करोड़ और शेष 50 करोड़ होगा। जनवरी के महीने के लिए गोवा राज्य सरकार (एसजीएसटी) का हिस्सा होगा।

IGST के वितरण के लिए (अंतर राज्य लेनदेन – विक्रेता और खरीदार दोनों अलग-अलग राज्यों में स्थित हैं) संग्रह, राजस्व केंद्र सरकार द्वारा एकत्र किया जाता है और राज्य के साथ साझा किया जाता है जहां माल आयात किया जाता है। उदाहरण: ‘ए’ गोवा राज्य में स्थित एक विक्रेता है जो पंजाब राज्य में स्थित उस उत्पाद के खरीदार ‘बी’ को उत्पाद बेच रहा है, तो इस लेनदेन से एकत्रित आईजीएसटी को केंद्रीय और पंजाब के बीच 50-50 आधार पर समान रूप से साझा किया जाएगा। केवल राज्य सरकारें।

जीएसटी परिषद
जीएसटी परिषद जीएसटी की शासी निकाय है जिसमें 33 सदस्य हैं, जिनमें से 2 सदस्य केंद्र के हैं और 31 सदस्य 28 राज्य और 3 केंद्र शासित प्रदेशों से कानून के साथ हैं। परिषद में निम्नलिखित सदस्य होते हैं (ए) केंद्रीय वित्त मंत्री (अध्यक्ष के रूप में) (बी) राजस्व या वित्त के प्रभारी राज्यों के मंत्री (सदस्य के रूप में) (सी) वित्त या कराधान के प्रभारी राज्यों के मंत्री या अन्य मंत्रियों के रूप में प्रत्येक राज्य सरकार द्वारा मनोनीत (सदस्य के रूप में)। जीएसटी परिषद भारत में माल और सेवा कर के संदर्भ के आधार पर किसी भी कानून या विनियमन को संशोधित करने, समेटने या प्राप्त करने के लिए एक शीर्ष सदस्य समिति है। परिषद की अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण करती हैं जो भारत के सभी राज्यों के वित्त मंत्री की सहायता करती हैं। जीएसटी परिषद भारत में किसी भी संशोधन या नियम के अधिनियमन या वस्तुओं और सेवाओं के किसी भी दर परिवर्तन के लिए जिम्मेदार है।

माल और सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन)

जीएसटीएन सॉफ्टवेयर इंफोसिस टेक्नोलॉजीज द्वारा बनाया गया है और यह सूचना प्रौद्योगिकी नेटवर्क जो कंप्यूटिंग संसाधन प्रदान करता है, एनआईसी द्वारा बनाए रखा जाता है। “गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स नेटवर्क” (जीएसटीएन) एक गैर-लाभकारी संगठन है जो एक परिष्कृत नेटवर्क बनाने के लिए बनाया गया है, जो एक ही स्रोत (पोर्टल) से जानकारी तक पहुंचने के लिए हितधारकों, सरकार और करदाताओं के लिए सुलभ है। पोर्टल प्रत्येक लेनदेन को ट्रैक करने के लिए कर अधिकारियों के लिए सुलभ है, जबकि करदाताओं के पास अपने कर रिटर्न के लिए कनेक्ट करने की क्षमता है।

GSTN की अधिकृत पूंजी ₹10 करोड़ (US$1.3 मिलियन) है जिसमें शुरू में केंद्र सरकार के पास 24.5 प्रतिशत शेयर थे जबकि राज्य सरकार के पास 24.5 प्रतिशत थे। शेष 51 प्रतिशत गैर-सरकारी वित्तीय संस्थानों के पास, एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक के पास 20%, आईसीआईसीआई बैंक के पास 10%, एनएसई के रणनीतिक निवेश में 10% और एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस के पास 11% हिस्सेदारी थी।

हालांकि, बाद में इसे राज्य और केंद्र सरकार के बराबर शेयरों वाली पूर्ण स्वामित्व वाली सरकारी कंपनी बना दिया गया।

रिटर्न
दायर जीएसटी रिटर्न का सांख्यिकीय विवरण

आंकड़ों के अनुसार लगभग 38 लाख नए करदाताओं ने जीएसटी व्यवस्था के तहत पंजीकरण कराया है और अगर हम पहले के 64 लाख करदाताओं को शामिल करें तो कुल संख्या एक करोड़ को पार कर गई है। अक्टूबर 2018 में करदाताओं की कुल संख्या 1.14 करोड़ से ऊपर थी।

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