आज का हमारा टॉपिक है – Business funding , इस टॉपिक में हम जानेंगे कि एक छोटे बिज़नस को बढ़ाने के लिए उसके पास पूंजी (Business Capital) के लिए क्या क्या सोर्सेज होते है, और वो उनका कब कब और कैसे इस्तेमाल करते है,
हमने इस से पहले COMPANY FORMATION की बात की थी, और ये समझा था कि स्टॉक मार्केट इन्वेस्टमेंट के लिए एक बिज़नस द्वारा उसके फण्ड सोर्सेज को समझना कितना जरुरी है, और बहुत ही शोर्ट में समझा बिज़नस के अलग अलग स्टेज पर पूंजी के सोर्सेज के बारे में समझा था,
आज उसी टॉपिक को साथ साथ आगे बढ़ाते हुए, बिज़नस के अलग अलग स्टेज और व्यापर की पूंजी (Business funding ) दोनों को Detail में समझेंगे,
इस आईडिया के साथ आपकी सबसे बड़ी दिक्कत ये होगी कि आप इस बिज़नस करने के लिए पैसे यानी पूंजी कहा से लायेंगे, बिज़नस शुरु करने के लिए आपको एक जगह किराये पर लेना होता है, कुछ रजिस्ट्रेशन, मशीन, और फर्नीचर की व्यस्था करनी होती है, आपको और आदमी रखने की जरुरत होती है, और ये सब Capital Expense होते है, और इसके लिए आपको पूंजी चाहिए होती है,
Business Cycle Fund: यहां आपको ऐसे फंड के बारे में बताया जा रहा है जो कि आपके लिए नया हो सकता है लेकिन म्यूचुअल फंड उद्योग में ये विकल्प अच्छे रिटर्न के लिए शानदार साबित हो सकता है.
Business funding
ANGLE INVESTOR
SHARE CAPITAL
BUSINESS FUNDING STAGE -1- PROMOTERS, ANGEL INVESTOR
अगर आपने कभी बिज़नस करने का सोचा होगा, तो आपके पास सबसे पहले एक बिज़नस आईडिया आता है, जैसे – school bag manufactring का आईडिया, हो सकता है कि आप जो बिज़नस करना चाहते है, उसके बारे में आपको अनुभव भी है, और साथ ही साथ आपको बहुत भरोसा है कि आपका बिज़नस बहुत सक्सेसफुल होगा,
BUSINESS
BUSINESS FUNDING – SUMMARY
Business funding का अर्थ है – व्यापर की पूंजी. (Business Capital)
BUSINESS FUNDING SUMMARY- हमने देखा कि एक कंपनी अपने शुरुआत से किस तरह से अपने बिज़नस को GROW करने के लिए अलग अलग तरीको से BUSINESS FUNDING की व्यस्था करती है, ऐसे में कंपनी द्वारा बिज़नस फंडिंग की अपनी बात को SUMMARIZE करे तो, एक कंपनी के पास अपने बिज़नस को बढ़ाने के लिए जो भी BUSINESS FUNDING की व्यस्था करती है, उसमे हर एक फण्ड सोर्स का अपना महत्व है,
क्राउड फंडिंग (Crowdfunding)
वेंचर कैपिटल (
एंजेल इन्वेस्टर्स
बूटस्ट्रैपिंग
Startup India
मुद्रा लोन
बिज़नेस इनक्यूबेटर एवं एक्सेलरेटर (Accelerators vs. incubators) द्वारा
सोसाइटी स्कीम
Company Business funding के अलग अलग सोर्स
COMPANY BUSINESS FUNDING के अलग अलग सोर्स
ऐसे में आपको दो तरह की पूंजी (Business funding) की आवश्यकता होती है –
Fixed Capital – जो पूंजीगत खर्चो के लिए लगने वाला फण्ड
Working capital– आप जिस चीज का व्यापार करना चाहते है, उसको खरीदने और बेचने से सम्बंधित लगने वाला फण्ड
अगर आप अपने आईडिया को बिज़नस रूप देना चाहते है, तो आपको खुद ही पूंजी की व्यस्था करनी होगी, क्योकि एक नया बिज़नस सक्सेसफुल होगा या नहीं, इस रिस्क के कारण कोई भी जल्दी पैसा नहीं लगाना चाहता,
ऐसे में हो सकता है,आप अपने पास जो भी बचत के पैसे है, वो या अपने करीबी परिवार या रिश्तेदार से पैसे लेकर शुरू करे,अगर आप इस तरह अपना बिज़नस शुरू करते है, तो आप जो भी कंपनी बनायेगे उसके प्रोमोटर कहे जायेंगे
BUSINESS PROMOTER
ध्यान देने वाली बात है कि बिज़नस को शूरू करने वाले को PROMOTER कहा जाता है, और ऐसे में चुकी आप अकेले ही इस बिज़नस को शुरू कर रहे है, और अपने खुद की रिस्क पर पूंजी लगा रहे है, इसलिए आप भी इस बिज़नस के PROMOTER कहे जायेंगे,
ANGLE INVESTOR
अब मान लीजये कि अपने अपने बिज़नस की पूंजी की कमी को पूरा करने के लिए अपने दो दोस्तों को भी राजी कर लिया, और आपके वो दोस्त आपको बिज़नस फण्ड करने के लिए पैसे दे देते है,
तो ऐसे में बिज़नस फण्ड के बिलकुल शुरुआती दौर में आपके दोस्तों द्वारा लगाया पैसा LOAN नहीं बल्कि पूंजी के रूप में निवेशित किया जायेगा,
और आपके दोस्तों को ANGEL INVESTOR (एंजेल इन्वेस्टर) कहा जायेगा,
SEED FUND या BUSINESS CAPITAL
यहाँ ध्यान देने वाली बात ये है कि आपने यानी PROMOTOR और ANGEL INVESTOR ने मिलकर जो INITIAL MONEY जुटाया है, मान लीजिये प्रमोटर और ANGEL INVESTOR ने मिलकर 10 लाख रूपये एकत्रित किये, और इस 10 लाख से अब बिज़नस की शुरुआत हो जाती है,
तो ऐसे में INITAL MONEY को BUSINESS CAPITAL के रूप में SEED FUND माना जायेगा,
SEED FUND को कंपनी के नाम से कंपनी खाते में रखा जाता है, ना कि प्रोमोटर या किसी और के खाते में, और जब पूरा SEED FUND कंपनी के अकाउंट में आ जाता है, तो अब उस पूंजी को शेयर पूंजी (SHARE CAPITAL) कहा जाता है,
और उस SEED FUND लाने वालो को कंपनी में हिस्सेदारी (शेयर) का सर्टिफिकेट दे दिया जाता है, यानी अभी तक जो हमने प्रोमोटर और एंजेल इन्वेस्टर की बात की ,उनको शेयर कैपिटल के आधार पर शेयर सर्टिफिकेट दे दिया जायेगा,
SHARE CAPITAL
हमने देखा प्रोमोटर और एंजेल इन्वेस्टर ने बिज़नस की शुरुआत के लिए जो भी पूंजी लाई, उस SEED FUND कहा गया, और जब SEED FUND को कंपनी के खाते में TRANSFER कर दिया तो या INTITAL BUSINESS FUND अब SHARE CAPITAL बन जाता है,
अब मान लीजिये,
कंपनी के पास कुल शेयर पूंजी है- 10 लाख रूपये, और प्रोमोटर और इन्वेस्टर ने मिलकर कमपनी की कुल पूंजी को 10 रूपये के FACE VALUE के शेयर को बाट देते है, यहाँ
तो ऐसे में कुल शेयर की संख्या होती है – 1 लाख शेयर
और प्रत्येक शेयर का मूल्य 10 रूपये
और इस प्रकार कंपनी की कुल पूंजी हो जाती है
SHARE CAPITAL = 1,00,000 X 10 = 10,00,000 रूपये
Company Valuation
Company Valuation – जब किसी कंपनी के पास सिर्फ 10 लाख रूपये ही होते है और इसके अलावा दूसरी कोई सम्पति नहीं हो तो वह 10 लाख रूपये कंपनी का Valuation होगा Valuation= कुल सम्पति – कुल दायित्व,
अभी कंपनी के पास कोई दायित्व नहीं है सिर्फ कुल सम्पति 10 लाख रूपये है
इस तरह कोई भी एक कंपनी शेयर कैपिटल के साथ अपना बिजनेस करना शुरू करती है, और जैसे धीरे-धीरे कंपनी का लाभ बढ़ता है, तो उस कंपनी की सम्पति भी बढती है और इस प्रकार उस कंपनी की वैल्यूएशन भी बढ़ने लगती है
AUTHORIZED SHARE (CAPITAL)
अगर किसी कंपनी की AUTHORIZED SHARE (CAPITAL) निकालना है तो जो हमने 10 लाख के शेयर कैपिटल ऊपर माना है उस को 10 रूपये के फेस वैल्यू के साथ डिवाइड करगे तो उस कंपनी के पास कुल 1 लाख शेयर होंगे इन 1 लाख शेयर को कंपनी का AUTHORIZED SHARE(Capital) कहा जाता है और इन authorized shares को कंपनी के prmoters और investor के बीच डिवाइड किया जायेगा
लेकिन यह जरुरी भी नहीं है की कंपनी के कुल शेयर को prmoters और investors के बीच बाँट दिया जाये इसमे कंपनी सभी शेयर को तीन समान हिस्सों के बीच मे डिवाइड ना भी करे कुछ कंपनिया अपने प्रोमोटर्स को 40% शेयर और Angle Investors को 10 -10 % शेयर देती है और बाकि 40% शेयर कंपनी अपने खाते में रखे ।
ISSUED SHARE (CAPITAL)
ISSUED SHARE (CAPITAL)– जैसा की हमने ऊपर जाना की authorized Capital से 40% शेयर प्रोमोटर्स को और 10 -10 % शेयर ANGLE INVESTOR को दिया गया
इस तरह कंपनी के 60% के शेयर को जो authorized capital से निकाला गया है इसे ISSUED SHARE (Capital) कहा जाता है इसे हम ALLOTTED SHARE भी कह सकते है
जो शेयर authorized शेयर है जिनको कंपनी ने अपने पास रखा है, उन 40% शेयर्स को उस समय AUTHORIZED तो होंगे लेकिन उन्हे NOT ALLOTTED कहा जायेगा
SHARE HOLDING PATTERN
SHARE HOLDING PATTERN -से हम समझते है कि ISSUED SHARE किस के पास कितने है, जैसे की हमने ऊपर के एक उदाहरण मे बताया है उस के हिसाब से ISSUED SHARE HOLDING पैटर्न इस प्रकार है
SR. NO. NO. OF SHARES OWNED BY SHAREHOLDING
SR. NO. | NO. share owned by shareholdings | प्रतिशत |
1. | promoters | 40% |
2. | Angel Investor-1 | 10% |
3. | Angel Investor-2 | 10% |
BUSINESS FUNDING STAGE -2 – THE VENTURE CAPITALIST
जैसे जैसे बिज़नस आगे बढ़ता है, और लाभ कमाता है, तो कुछ साल बाद उस बिज़नस के मालिक प्रोमोटर्स और इन्वेस्टर्स उस बिज़नस को और अधिक बढ़ाना चाहते है,
जैसे अगर प्रमोटर्स और इन्वेस्टर्स ने अगर भारत के किसी एक शहर में है, तो वो ये सोचता है कि अगर मै अपनी कंपनी के ब्रांच अपने राज्य के दुसरे शहरो में भी खोलू तो कंपनी को और अधिक फायदा होगा, और बिज़नस बढ़ जायेगा,
इसके लिए फिर से Business funding की जरुरत होती है, और बिज़नस फंडिंग की आवश्यकता यानी पूंजी की आवश्यकता, और पूंजी की इस तरह के आवश्यकता के लिए कंपनी को नए निवेशक की जरुरत होती है, जो कंपनी को अपने बिज़नस को बढ़ाने के लिए पैसे दे और बदले में होने वाले फायदों में उसे भी कुछ हिस्सा दिया जाये,
अब क्योकि कंपनी ने एक शहर में अपना बिज़नस जमा लिया है, और लगातार लाभ कमा रही है, तो ऐसे में कम्पनी को कुछ बड़े निवेशक मिलने की सम्भावना होती है,और वो एक नए निवेशक को अप्प्रोच करती है, और जब उसे कोई बड़ा निवेशक मिल जाता है, जो कंपनी में शेयर के बदले निवेशक को तैयार हो जाता है,
इस STAGE पे निवेश करने वाले को VENTURE CAPITALIST (VENTURE कैपिटलिस्ट) कहा जाता है,
और इन शोर्ट इस तरीके से आने वाली फंडिंग को VC फंडिंग कहा जाता है,
जब कोई नया निवेशक आता है, तो उस समय कंपनी की वैल्यूएशन या कहे NET WORTH निकाला जाता है, और नए वैल्यूएशन के हिसाब से नए निवेशक द्वारा किये जाने वाले निवेश के बदले उसे शेयर दिया जाता है,
अब मान लेते है, जो बिज़नस 10 लाख से 4 साल पहले शुरू हुआ था, उस की वैल्यूएशन अभी 40 लाख हो चुकी है, तो ऐसे में VC फंडिंग 40 लाख के अनुपात में जितना निवेश करेगा, उतना उसे शेयर दिया जायेगा,
यानी उस कंपनी में 10% शेयर के बदले VC FUNDING से 4 लाख रूपये आने चाहिए,
अब ऐसे ही कंपनी जब भी नया निवेशक से शेयर के बदले पैसा लेना होगा, तो उसे current वैल्यूएशन को ध्यान में रखते हुए शेयर इशू कर सकता है,
VC की पहली निवेश को सीरीज A FUNDING,
और दूसरी बार VC से निवेश लेने पर , उसे नाम दिया जायेगा – सीरीज B FUNDING
जैसे ही कोई निवेशक , निवेश करता है, तो शेयर होल्डिंग पैटर्न में कुछ नया या थोडा बदलाव देखने को मिलता है,
ध्यान देने वाली बात ये भी है, कोई पुराना निवेश अपने शेयर को कंपनी के CURRENT वैल्यूएशन के हिसाब से बेचकर बाहर भी निकल सकता है,
अगर हम जिस EXAMPLE की बात कर रहे है, उसमे NOT ALLOTTED AUTHORIZED SHARE से निकाल कर 10% शेयर VC को दिया जायेगा, और नया शेयर होल्डिंग पैटर्न कुछ इस तरह होगा-
SR. NO. | NO. OF SHARE OWNED BY SHAREHOLDING | percent |
1. | PROMOTOR | 40% |
2. | Angel INVESTOR | 1-10% |
3. | Angel INVESTOR | 2-10% |
4. | VENTURE CAPITALIST | 10% |
BUSINESS FUNDING STAGE -3 – THE BANKERS
किसी भी बिज़नस के पास अपने BUSINESS को बढ़ाने के लिए BUSINESS FUND की हमेशा आवश्यकता होती है, और ऐसे में BANK से पैसे लेने का भी एक विकल्प होता है, और सभी बैंक बिज़नस लोन देती है,
ध्यान देने वाली बात ये है कि बैंक से लिया जाने वाला फण्ड एक LOAN होता है, जिसके ऊपर निश्चित दर से व्याज चुकाना होता है, और LOAN को चुकाने (REPAYMENT) का भी एक दबाव बना रहता है, जो कि बिज़नस के लाभ को काम कर देता है,
इस तरह कंपनी के पास दुसरे सोर्सेज न होने पर बैंक से भी लोन लेती है, लेकिन एक निवेशक के लिए ध्यान देने वाली बात ये है कि बैंक से लिया जाने वाला बिज़नस फण्ड एक LOAN और DEBT की तरह होता है, और कंपनी के समापन की दशा में बैंक लोन को चुकाना कंपनी की प्राथमिकता होती है,साथ ही साथ किसी कंपनी के ऊपर ज्यादा बैंक लोन होने से उसकी लाभ कमाने की क्षमता में कम हो जाती है, और ये निवेशक के लिए अच्छी बात नहीं होती है,
BUSINESS FUNDING STAGE -4 PRIVATE EQUITY (PE)
PRIVATE EQUITY (PE)- कंपनी BUSINESS FUNDING के लिए PRIVATE EQUITY (PE) के जरिए भी फंड ले सकती है PRIVATE EQUITY को PE भी कहा जाता है PRIVATE EQUITY को हम VENTURE CAPITALIST का बड़ा रूप समझ सकते है इसलिए हमने इसको BUSINESS FUNDING की सोर्स में चौथे स्थान पर रखा है
PRIVATE EQUITY मे वो बड़ी बड़ी प्राइवेट फाइनेंस कंपनीया होती है जो किसी GROWING BUSINESS में INVESTOR के तौर पर उस कंपनी मे निवेश करते है ये देखते है जिस कंपनी का बिज़नेस बढ़ता जा रहा है, उसे अपने बिज़नस को ओर बढ़ाने के लिए और उसे अधिक मात्रा में बड़े अनुपात में BUSINESS FUDING की आवश्यकता होती है और ऐसे में ये PRIVATE EQUITY कंपनिया उन्हे फंड देने का काम करती है
अब हमने ऊपर जो EXAMPLE देखा, उस केस में अगर PRIVATE EQUITY से भी निवेश के रूप में पैसा लेना हो तो, एक बार फिर कंपनी की NET WORTH (VALUATION) की गणना की जाएगी,
मान लेते है, कंपनी ने अगले दो साल में और अधिक लाभ कमाया है और अब कंपनी का वैल्यूएशन या NET WORTH अगर 1 करोड़ हो जाता है,
तो ऐसे PRIVATE EQUITY को कंपनी में 10% शेयर के लिए 10 लाख रूपये निवेश करने होंगे.
और कंपनी का कुल शेयर होल्डिंग पैटर्न कुछ इस प्रकार होगा-
SR.NO | NO.OF SHARE OWNED BY SHAREHOLDING | percent |
1. | PROMOTOR | 40% |
2. | ANGLE INVESTOR-1 | 10% |
3. | ANGLE INVESTOR-2 | 10% |
4. | VENTURE CAPITALIST | 10% |
5. | PRIVATE EQUITY | 10% |
BUSINESS FUNDING STAGE -5 THE IPO
आईपीओ एक अच्छा जरिया है जिससे किसी भी कंपनी के लिए फन्डिंग आसानी से की जा सकती है सबसे पहले हम समझते है की आईपीओ क्या है = IPO- (inital public offering ) आईपीओ का हिंदी अर्थ – पब्लिक को कंपनी के शेयर खरीदने का आवेदन
आईपीओ को हम ऐसे समझ सकते है जब किसी भी कंपनी को बहुत ही ज्यादा मात्रा में BUSINESS FUNDING की आवश्यकता होती होती है तो वह कंपनी SEBI द्वारा बनाये गये नियमो का पालन करते हुए PUBLIC से funding लेने के लिए अपनी कंपनी के शेयरो को स्टॉक मार्केट पर लिस्ट करवाता है और किसी भी कंपनी को स्टॉक मार्केट मे LIST करने से पहले उस कंपनी को बाजार मे अपना आईपीओ लाना पड़ता है
आईपीओ के जरिए कोई भी कंपनी फंड जूटा पाती है ओर अपने business को आगे बढ़ाती है
हमने यहाँ BUSINESS FUNDING के इस टॉपिक से ये समझने की कोशिश की है कि किस तरह कंपनी अपने बिज़नस को बढ़ाने के लिए FUND ARRANGEMENT करती है, और किसी कंपनी के लिए फण्ड जुटाने का सबसे बड़ा सोर्स होता है- स्टॉक मार्केट के माध्यम से लोगो से पैसे लेना, और इसलिए कंपनी आईपीओ लाती है, और अपना बिज़नस करती है, और अपने निवेशको को उसका लाभ देती है
एक निवेशक के नाते हमें बिज़नस की शुरुआत से IPO तक के सफ़र को ध्यान मेर रखना जरुरी है, जिस से कम्पनी अपने बिज़नस को बढ़ाने के लिए किस FUND SOURCE कैसे इस्तेमाल कर रही है, और कंपनी मे प्रोमोटर्स के मुख्य शेयर होल्डिंग किस के पास है,
निष्कर्ष
आज हमने इस आर्टिकल के जरिए business funding के बारे मे जाना की business funding हम किस प्रकार से ले सकते है हमने सभी प्रकार के बिजनेस फन्डिंग के बारे जाना जिनसे हम अपने बिजनेस के लिए फन्डिंग ले सकते है आशा करता हु की आपको हमारी यह जानकारी पसंद आई होगी अगर आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी पसंद आई हो तो हमे कमेन्ट करके जरूर बताए इसके साथ ही आप अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर शेयर करना ना भूले अगर आपका इस पोस्ट से जुड़ा कोई सवाल है तो आप हमे कॉमेंट करके पूछ सकते है